फ़ना
मैंने रोका था उसको दिल लगाने से,
काश वो समझ जाती मेरे समझाने से,
मैंने जाना नज़र फ़रेबी थी 'उसकी',
पर वो नही मानी और हो गई 'उसकी',
फ़ना हो गई वो 'उसकी' मोहब्बत में
और 'वो' छलता रहा उसे झूठे अल्फाज़ो से,
काश वो समझ जाती मेरे समझाने से,
मैंने रोका था उसको दिल लगाने से
जब दिल ऊब गया मेरी दोस्त से तो,
बातें बनाने लगा बड़ी ही बेरुख़ी से 'वो',
टूटा दिल जो तो ज़ार ज़ार रोई थी ,
भरोसा उसका उठ गया सारे ज़माने से,
काश वो समझ जाती मेरे समझाने से,
मैंने रोका था उसको दिल लगाने से।
Swati chourasia
08-Sep-2021 07:06 AM
Very beautiful 👌
Reply
Simran Ansari
07-Sep-2021 09:20 PM
बेहतरीन
Reply
Seema Priyadarshini sahay
07-Sep-2021 08:52 PM
बहुत ही खूबसूरत रचना प्रीति जी
Reply