पनाह
फिर उनके लिए दुनिया में कोई पनाह नहीं
खुदा रहम करे यतीमों पर जिनकी माँ नहीं
मेरे मौला माँ का आँचल सबको नसीब करना
माँ का आँचल नहीं तो समझो सर पे आसमाँ नहीं
माँ है तो ईद है होली है दीवाली भी है
माँ नहीं तो त्योहार का चाँद भी चाँद सा नहीं
ढूंढ कर तुम देख लो लेकिन कहीं ना पाओगे
माँ के आगोश सी दुनिया में कोई आराम-गाह नहीं
वक़्त रहते माँ की कीमत जान लो तो अच्छा है
माँ की कीमत उनसे पूछो माँ जिनके दरमियाँ नहीं
Nitish bhardwaj
09-Sep-2021 10:07 AM
वाह बहुत खूब
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Swati chourasia
09-Sep-2021 07:06 AM
Very beautiful
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