ग़ज़ल
🌹🌹🌹*ग़ज़ल* 🌹🌹🌹
मुह़ब्बत के फूलों से इसको सजाएँ।
वतन को चलो अपने जन्नत बनाएँ।
किसी के भी आँसू छलकने न पाएँ।
हर इक ग़मज़दा को चलो हम हँसाएँ।
थकन हमको होगी न हारेंगे हिम्मत।
अगर एक दूजे के हम काम आएँ।
ख़िज़ाओं ने डाले हैं डेरे जहाँ पर।
वहाँ पर भी हम आओ फ़स्लें उगाएँ।
लहू माँगती है ये ख़ाक ए वतन फिर।
उठो क़र्ज़ माटी का अपनी चुकाएँ।
दिलों से तनफ़्फ़ुर मिटाने की ख़ातिर।
चलो हर तरफ़ शम्मे उल्फ़त जलाएँ।
मिटादें जो ज़ह्नों से बुग़्ज ओ ह़सद को।
फ़राज़ आओ सबको वो नग़मे सुनाएँ।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद।
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Sachin dev
07-Jan-2023 02:14 PM
Well done
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डॉ. रामबली मिश्र
06-Jan-2023 12:08 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻🙏🏻
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