Madhu varma

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लेखनी कविता - सोनिया समन्दर - नागार्जुन


सोनिया समन्दर / नागार्जुन

सोनिया समन्दर
सामने
लहराता है
जहाँ तक नज़र जाती है,
सोनिया समन्दर !

बिछा है मैदान में
सोन ही सोना
सोना ही सोना
सोना ही सोना

गेहूँ की पकी फसलें तैयार हैं--
बुला रही हैं
खेतिहरों को
..."ले चलो हमें
खलिहान में--
घर की लक्ष्मी के
हवाले करो
ले चलो यहाँ से"

बुला रही हैं
गेहूँ की तैयार फसलें
अपने-अपने कॄषकों को...

1983 में रचित


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