Madhu varma

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लेखनी कविता - कितने दिन जीवन जल-निधि में- जयशंकर प्रसाद

कितने दिन जीवन जल-निधि में- जयशंकर प्रसाद

कितने दिन जीवन जल-निधि में -
विकल अनिल से प्रेरित होकर
 लहरी, कूल चूमने चल कर
 उठती गिरती सी रुक-रुक कर
 सृजन करेगी छवि गति-विधि में !
कितनी मधु- संगीत- निनादित
 गाथाएँ निज ले चिर-संचित
 तस्ल तान गावेगी वंचित !
 पागल - सी इस पथ निरवधि में!
दिनकर हिमकर तारा के दल
 इसके मुकुर वक्ष में निर्मल
 चित्र बनायेंगे निज चंचल !
 आशा की माधुरी अवधि में !

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