Madhu varma

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लेखनी कविता -लापता का हुलिया - कुंवर नारायण

लापता का हुलिया / कुंवर नारायण

रंग गेहुआं ढंग खेतिहर
उसके माथे पर चोट का निशान
कद पांच फुट से कम नहीं
ऐसी बात करताकि उसे कोई गम नहीं।
तुतलाता है।
उम्र पूछो तो हजारों साल से कुछ ज्यादा बतलाता है।
देखने में पागल-सा लगता-- है नहीं।
कई बार ऊंचाइयों से गिर कर टूट चुका है

इसलिए देखने पर जुड़ा हुआ लगेगा
हिन्दुस्तान के नक्शे की तरह।
रंग गे

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