शायरी

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है एक ही बुरी आदत मुझमे... की मुझसे इंकार नहीं होता... बढ़ा मासूम सा हैं दिल मेरा... इस दिल को दुखने मे कोई नाकाम नहीं होता.. आज नहीं तो कल याद ...

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