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अध्याय - २ चौबीस तत्त्वोंके विचारके साथ जगत्के उप्तत्ति क्रमका वर्णन और विष्णुकी महिमा श्रीपराशरजी बोले- जो ब्रह्म, विष्णु और शंकररूपसे जगत्की उप्तत्ति, स्थिति और संहारके कारण हैं तथा अपने भक्तोंको ...