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अध्याय - ३ ब्रह्मादिकी आयु और कालका स्वरूप श्रीमैत्रेयजी बोले- हे भगवन् ! जो ब्रह्म, निर्गुण, अप्रमेय, शुद्ध और निर्मलात्मा है उसका सर्गादिका कर्त्ता होना कैसे सिद्ध हो सकता है ? ...