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अध्याय - ५ अविद्यादि विविध सर्गोका वर्णन श्रीमैत्रेयजी बोले- हे द्विजराज ! सर्गके आदिमें भगवान् ब्रह्माजीने पृथिवी, आकाश और जल आदिमें रहनेवाले देव, ऋषि, पितृगण, दानव, मनुष्य, तिर्यक और वृक्षादिको जिस ...