लेखनी कहानी - विष्णु पुराण - अध्याय - १७

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अध्याय - १७ हिरण्यकशिपूका दिग्विजय और प्रह्लाद-चरित श्रीपराशरजी बोले - हे मैत्रेय ! उन सर्वदा उदारचरित परमबुद्धिमान् महात्मा प्रह्लादजीका चरित्र तुम ध्यानपूर्वक श्रवण करो ॥१॥ पूर्वकालमें दितिके पुत्र महाबली हिरण्यकशिपुने, ब्रह्माजीके ...

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