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अध्याय - २८ सात पाताललोकोंका वर्णन श्रीपराशरजी बोले - हे द्विज ! मैंने तुमसे यह पृथिवीका विस्तार कहा; इसकी ऊँचाई भी सत्तर सहस्त्र योजन कही जाती हैं ॥१॥ हे मुनिसत्तम ! ...