लेखनी कहानी - विष्णु पुराण - अध्याय - ३८

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अध्याय - ३८ ऋभुका निदाघको अद्वैतज्ञानोपदेश श्रीपराशरजी बोले- हे मैत्रेय ! ऐसा कहनेपर, राजाको मौन होकर मन-ही-मन-सोच-विचार करते देख वे विप्रवर यह अद्वैत - सम्बन्धिनी कथा सुनाने लगे ॥१॥ ब्राह्मण बोले ...

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