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अध्याय - ४१ इक्ष्वाकुके वंशका वर्णन तथा सौभरिचरित्र श्रीपराशरजी बोले - जिस समय रैवत ककुद्मी ब्रह्मालोकसे लौटकर नहीं आये थे उसी समय पुण्यजन नामक राक्षसोंने उनकी पुरी कुशस्थलीका ध्वंस कर दिया ...