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अध्याय - ५२ सत्वतकी सन्ततिका वर्णन और स्यमन्तकमणिकी कथा श्रीपराशरजी बोले सत्वतके भजन, भजमान, दिव्य, अन्धक, देवावृध महाभोज और वृष्णि नामक पुत्र हुए ॥१॥ भजमनाके निमि, कृकण और वृष्णि तथ इनके ...