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कोमल कर किसलय जैसे है बैठी लगे तितलियाँ । फूल अभी बनने वाली है लगती है बस कलियाँ ।। भिण्डी-फल अंगुली मनोहर छटा कसी कचनार की । चन्दा जैसी कान्ति निकलती ...