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बेटियाँ एक बार मैं सो रहा था,सपनो में खो रहा था। नदी किनारे बैठे-बैठे,लहरो को निहार रहा था। पूनम की शीतल चाँदनी में,बहुत मजा आ रहा था। परीलोक से परियाँ आना,आते ...