जिंदगी

1 Part

194 times read

4 Liked

जिंदगी को जितना समझना चाहती हूं  एक अबूझ पहेली बन सामने आती है  कभी तो बहुत सताती है  कभी सहेली  बन मनाती है  कभी किसी खास से मिलने की  आस जगाती ...

×