द्वेष

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इस दुखमय जीवन का प्रकाश, नभ नील लता की डालो में, उलझा अपने दुख से हताश | कलिया जिनको मैं समझ रहा वे काटे बिखरे आस पास || कितना बीहड़ पथ ...

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