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विहँस रही थी प्रकृति हटाकर मुख से अपना घूँघट–पट। बालक–रवि को ले गोदी में धीरे से बदली करवट परियों सी उतरी रवि–किरणे घुली मिलीं रज–कन–कन से। खिलने लगे कमल दिनकर के ...