1 Part
215 times read
11 Liked
विहँस रही थी प्रकृति हटाकर मुख से अपना घूँघट–पट। बालक–रवि को ले गोदी में धीरे से बदली करवट परियों सी उतरी रवि–किरणे घुली मिलीं रज–कन–कन से। खिलने लगे कमल दिनकर के ...