स्वांग

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धर्मो का गूढ़ भूला कर के, शब्दो का मूल फिरा कर के, वो धरम बचाने आए है, धर्म की बलि चढ़ा कर के । नैतिक वचनों के खातिर, विनाश कहा का ...

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