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बहुत गहराई है तुझमें यह मैंने डूब कर देखा। जो साहिल पर तमाशाई उसे मालूम क्या होगा । वफा,इखलास, कुर्बानी,अजी ईसार का जज़्बा, जो फितरत से है हरजाई उसे मालूम क्या ...