शायरी

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कहाँ-कहाँ से सिलूँ ऐ जिंदगी,  तू तो उधड़ती ही जाती है…..!! उम्मीदें तो हमारी वक्त ने छीन लीं, हम मुकद्दर को ही बस कोसते रह गए….!! संघर्ष से ही बदलती है ...

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