1 Part
327 times read
19 Liked
कहाँ-कहाँ से सिलूँ ऐ जिंदगी, तू तो उधड़ती ही जाती है…..!! उम्मीदें तो हमारी वक्त ने छीन लीं, हम मुकद्दर को ही बस कोसते रह गए….!! संघर्ष से ही बदलती है ...