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1 है कृपा जब मात की, लेखन को आशीश, धन्य धन्य में हो गई, मदद करो जगदीश।। 2 माटी बोली प्रेम से, मैं तो बड़ी अनूप। सबआकारों में ढली, मेरे ही ...