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*विरहदग्धा* सपनों की फिर इक नगरी मन-मानस पर छाई रजनी के माथे को छूकर चाँदनी हर सूं छाई यादों के गलियारों में हलचल दिल में प्रिय-मिलन की अकुलाहट। बहते चाँदनी के ...