लेखनी कहानी -20-Aug-2023

1 Part

256 times read

5 Liked

मानता हूं आशियाना हादिसों की ज़द में है। मुझको लगता हर बशर अब साजि़शों की ज़द में है। रास्ता ये पुर खतर दुश्वार है, पुरखा़र है। रहबरों के भेष में यह ...

×