क़िस्मत

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*क़िस्मत* साँसों में मेरी घुली हो,         तुमको भुलाऊँ मैं कैसे? दिन-रात ताकूँ मैं तुमको-          चकोरी लखे चाँद जैसे।। कभी भी न क़िस्मत मिलाई, ...

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