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*विरह-वेदना* चिराग़े मोहब्बत जलाया था हमने, के कर दें उजाला हम उनके हृदय में। मग़र पड़ गया पाला पाषाण दिल से- जो समझे नहीं फ़र्क़ ज्वाला-मलय में।। जब भी ...