वह चली हवा के झोके सी

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वह चली हवा के झोके सी मदमस्त मदन की भाँति भली । पंगत-पगत पद पार करे बन गयी फूल जो रही कली । महकी अमरायी सनी धरा अपलक देखा हूँ तरा-तरा ...

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