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खन-खन सिक्के की सुनकर, उम्मीदें बाँध लीं हमने। इक-इक पाई गुल्लक में, आरजू साध ली हमने। छोटी-छोटी हैं खुशियां, उनके सपने भी छोटे। ये नन्हे मुन्नों की दुनिया, नहीं हैं स्वार्थ ...