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...........नादान........ धूप से गुजरकर ही पहुंचा हूं यहांतक हमने देखी ही अपनी परछाई इसीलिए रहता हूं हरदम औकात मे अपनी और,कुछ लोग इसी से मुझे नादान भी कहते हैं ,.... अक्सर ...