सुकून पांव के छाले फट रहे, होठों पे पपड़ी जम रही प्यास है बड़ी लगी, जिंदगी फिसल रही। चले जा रहे हैं हम, धूप सर पे जल रही मरुभूमि सी जिंदगी, ...

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