टूटी अब तक आस नहीं है

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टूटी अब तक आस नहीं है रचनाकार✍️ उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट जब से दूर बसा तू जाकर जीवन में लगता अब जैसे हर्ष और उल्लास नहीं है। 🌹🌹 छूटा गाँव- देश यह ...

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