संवेदनाएं....

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..........संवेदनाएं........... जिम्मेदारियों के बोझ से जब दब जाती है जिंदगी सपने रह जाते हैं सपने ही तब न रात होती है न दिन निकलता है सुबहोशाम  मे फर्क ही नहीं होता ...

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