हे भगवन ये कैसी माया,  कहीं धूप कहीं शीतल छाया। इक नर को गद्दी पै बिठाया, दूजा उसका दास बनाया। ऊँचे-ऊँचे महल तिबारे,  कोई तरसे बेघर द्वारे। कहीं लिबासों के अंबारे,  ...

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