सिसकी

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कौन सुने सिसकी इस मन की, बीते वक्त की बात हुई। सदियाँ बीत चुकी हैं अब तो, कब अन्तर्मन से बात हुई। याद नहीं आता है वह पल, कब हमने दर्पण ...

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