मुक्तक

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उलझे कागज के फूलों से, खुशबुएं बांट दी हमने। ये दामन रह गया खाली, शिफ़ाएं बांट दीं हमने। घरोंदा तोड़कर जालिम, बेवफा उड़ गई कोयल, उसी बेदर्द नाजनीं को, दुआएँ बाँट ...

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