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मेरी डायरी से •••• उम्र के इस पड़ाव तक आते आते धीरे-धीरे बहुत कुछ खोया, कुछ मिटता और कुछ संकुचित सा होता चला गया कब क्या पीछे छूट गया पता नहीं ...