चौकड़िया

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चौकड़िया  मनुआ मन को कूरा बारो , तन हुइये उजियारो ।  अंगड खंगड लोभ मोह को ,  जिय से रोज निकारो ।  काम क्रोध बैर ईर्ष्या को , इनका कर मुंह ...

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