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कच्ची है डोरी रिश्तों की, टूट जाए नहीं जुड़ती, लग जाए गाँठ अगर इसमें, ये ता-उम्र कसकती है। जुड़ जाती हैं टूटकर भी, जहाँ की तमाम इबारतें, मरम्मत हो नहीं पाए, ...