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मन ***** घटाओं सा घिरता रहा आज घन, बरसने को उद्यत रहा आज मन । कहीं भावनाओं का, सैलाब आया, कहीं वेदनाओं से घिरता भी पाया, जूझता भी रहा, और सिसकता ...