स्वैच्छिक

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🌹🌹🌹🌹ग़ज़ल 🌹🌹🌹🌹 तिरे इ़श्क़ में बाख़ुदा हंसते-हंसते। निभाएंगे अ़हद-ए-वफ़ा हंसते-हंसते। सुना तो दी तू ने सज़ा हंसते-हंसते। ख़ता भी बता दे ज़रा हंसते-हंसते। क़सम से ज़रा भी बुरा हम न मानें। ...

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