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मुक्ति लेखक: प्रिन्स सिंहल बूढे की आंख खुली तो वह हडबडा कर उठ बैठा। टूटी फूटी झोपड़ी में से धूप छनछनकर अन्दर आ रही थी। तभी झुग्गी के एक कोने में ...