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*-बेख़बर -* बह्र - 212 212 212 212 आशिकों की कमाई ग़मों का रहा हर तमन्ना अधूरी दिलों का रहा । ए सड़क ए गली रात भर शोर की बेख़बर ज़िंदगी ...