कविता

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हमें फुरसत नही अपने गम से, जिन्दगी भी रूठ सी गयी है जाने क्यूं हमसे, आंखों में आँसु है फिर भी हसना मजबुरी है , कैसे कहूँ क्यूं खुद से हीं ...

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