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विधा – दोहे विषय – बचपन रचना – ना ही कोई द्वंद था, ना कोई छल छंद, हर्षित करता आज भी, बचपन का आनंद।।१।। तुतलाती आवाज थी, उल्टे सीधे काज, अविस्मरणीय ...