बचपन

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कामयाबी की  रेस में,  जीना भुल गया हैं  इस इन्सान का तन...   सब कुछ है  फिर भी,   कुछ लम्हो को  दोहराना चाहता है मन... तभी बार बार कहता है मन ...

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