बेबस

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भागा भागा फिरता हूँ यहां से वहां, न आराम न सुकून है जहां। निकल जाता हूं, यूं ही अनजान राहों पर। न हमसफर न हमराह कोई बस अपने जिस्म का, बोझ ...

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