1 Part
212 times read
2 Liked
बहुरि नहिं आवना या देस॥ टेक॥ जो जो ग बहुरि नहि आ पठवत नाहिं सँस॥ १॥ सुर नर मुनि अरु पीर औलिया देवी देव गनेस॥ २॥ धरि धरि जनम सबै भरमे ...